पटना से डी के अकेला की रिपोर्ट

पीयूसीएल के 15 वां राज्य सम्मेलन के दूसरे दिन 10.30 बजे दिन से एक अति महत्वपूर्ण समसामयिक राज्य स्तरीय सेमिनार आयोजित हुई। सेमिनार का मुख्य विषय – राज्य का बढ़ता हुआ दमनकारी व्यवहार और मानवाधिकार की चुनौतियां था। पीयूसीएल द्वारा आयोजित सेमिनार के मुख्य वक्ता वामपंथी दल सीपीआई एम के अरुण कुमार मिश्रा थे। उन्होंने उक्त विषय पर राज्य का बढ़ता हुआ दमनकारी व्यवहार और मानवाधिकार की चुनौतियां पर अपने ही ऊपर घटित पुलिस उत्पीड़न से प्रारंभ किया। मुझे कई बार बेवजह परेशान किया है।उन्होंने आगे कहा कि राज्य की पुलिस तंत्र पूर्णतःनिरंकुश,बेलगाम तथा घोर दमनकारी हो गयी है। किसान,मजदूर,छात्र-नौजवान समेत हरेक तबकों के संविधान प्रदत्त अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण जन तांत्रिक तरीके से चलाये जा रहे आंदोलनों को कुचल डालने के लिए लाठी,अश्रुगैस पानी का फुहारा से लेकर गोली दागना तो आज आम बात हो गई है। संघर्षशील लोगों व जन नेताओं पर फर्जी मुकदमा के तहत जेल यातनाओं का शिकार बनाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पिछले दिनों देश की राजधानी दिल्ली में किसान विरोधी तीन काले कानूनों के खिलाफ जारी चर्चित किसान आंदोलन को कुचलने के लिए दमन के बहुरूप को आजमाते हुए निर्लज्जतापूर्वक बेरहमी से घोर कहर ढाया। इसके फलस्वरूप तकरीबन 700 निर्दोष मासूम किसान असमय पताल लोक सिद्धार गए। सरकारी तंत्र व उसके चट्टे-बट्टे की ओर से किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए तरह-तरह के हथकण्डों से कतई बाज नहीं आया। अन्नदाता भगवान देश के किसानों को आतंकवादी, खलिस्तानी,अर्बन नक्सली से लेकर विदेशी एजेंट तक बेशर्मी से कहा। फिर से आंदोलन थमने या दबने के बजाय और तीब्र व उग्र होता चला गया। देश-विदेश में व्यापक पैमाने पर विरोध का स्वर निरन्तर तेज होता चला गया। हालांकि भारत के प्रधान मंत्री ने किसानों से माफ़ी मांगते हुए तीनों किसान विरोधी काले कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा। यह कैसी विडम्बना है कि तीन काले कानून को वापस करने के लिए तथाकथित सुशासन के राज में इस 21वीं सदी में 700 किसानों को शहीद होना पड़ा। शराबबंदी के बहाने आज समाज के कमजोर व दलित वर्गों को नाहक मुकदमा में फंसाकर जेल यातनाओं का क्रूर निर्ममता से शिकार बनाया जा रहा है। जबकि शराब माफिया को तो सरकारी संरक्षण में बेतहासा आज फलफूल रहा है। बिहार में शराबबंदी का सिर्फ ढकोसला दिखावा किया जा रहा है। पहले सरकारी दुकानों में शराब उपलब्ध रहता था,लेकिन आज तो बिहार में हर जगह,यहाँ तक की होम डिलिवरी की उत्तम व्यवस्था उपलब्ध है। बिहार में बेरोकटोक शराब की गंगा बह रही है।

सेमिनार को सम्बोधित करने वालों में मुख्य वक्ता अरुण कुमार मिश्रा के अलावे अवधेश प्रसाद,पीयूसीएल के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पुष्पेन्द्र,महिला नेत्री प्रीति सिन्हा,संजय श्याम,ब्रह्मानन्द शर्मा,शशि भूषण शर्मा समेत करीब एक दर्जन नेताओं ने सम्बोधित किया। सबों ने अपने उद्बोधन में डबल इंजन की जनविरोधी सरकार और उसके लाड़ली निर्दयी पुलिस-प्रशासन की काली करतूतों की बड़ी लम्बी फेहरिश्त का बेवाक बयान दिया। ब्रिटिस साम्राज्य से लेकर आज तक पुलिस की बहसी दमनात्मक दास्ताँ बदस्तूर धड़ल्ले से जारी है।

मानवाधिकार के सामने आसन्न व अहम् चुनौतियां मुंहवाये खड़ी है कि मानवाधिकार,जनतांत्रिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्राओं के समर्थक व सहयोगी तमाम शक्तियों को एकजुट कर लगातार समझैताहीन जुझारू आंदोलनों को धारावाहिक जारी रखने की जरूरत है। जनमत में अथाह ताकत है। बड़े से बड़े तानाशाह को परास्त करने की क्षमता व कूबत मौजूद है। वख्त की पुकार है कि इन तमाम विखरे शक्तियों को लामबंद कर सचेतन ढंग से सही दिशा प्रदान करना है। इसके लिए हम तमाम सम्वेदनशील लोगों को संकल्प लेकर आगे बढ़ने की आवश्यकता है।