देश प्रेमियों का खून ! -ज्ञानचंद मेहता

जावेद अख्‍तर ने सोशल मीडिया पर उन कथित बेहूदे यूजर्स को कड़ी फटकार लगाई है, जिन्‍होंने विराट कोहली की तारीफ में किए गए जावेद अख्तर को ट्वीट को निशाना बनाया। 80 साल के जावेद अख्तर ने  कहा कि ‘’मेरी ( जावेद अख्तर! के) रगों में देश  प्रेमियों का खून है और तुम्‍हारी रगों में अंग्रेजों के नौकरों का।’’

     जावेद अख्तर का यह जवाब आपके मगज में धंसा? जावेद अख्तर वह इस्लामी ताकत है जिसने लेखक सलीम ( सलमान खान के  अब्बा) से मिल कर हिंदी फिल्म उद्योग का साहित्य बदल दिया। बॉलीवुड खान वुड कहा जाने लगा । अभिनेता सुशांत सिंह की हत्या अराजकता की हद मानी गई और, एवज में मुंबई फिल्म उद्योग से हिंदी फिल्मकार को उदास होते देख नोएडा में उत्तर प्रदेश की सरकार ने एक वृहद तथा अत्याधुनिक फिल्म सिटी का निर्माण करने की योजना को क्रियान्वित कर रही है, क्यों ? हमें क्यों न हो इस्लामी फोबिया ? बात करते हैं, देश प्रेम का ?

श्रीमती /श्री ज्ञानचंद मेहता

इस देश के उप राष्ट्रपति होकर कार्यमुक्त हुए हामिद अंसारी साहब के जहर बुझे बयानों को तो अपने सुना ही होगा? छोड़िए ढेर सारी बातों को, 1857 स्वतंत्रता का  संग्राम का अग्रदूत शहीद मंगल पांडेय की बंदूक से पहली गोली चली थी। अंग्रेजी अफसरों के तेवर और ऑर्डर के बाद भी बैरेक के सभी सिपाही ने  शेर मंगल पांडेय को गिरफ्तार करने से मना कर दिया। मंगल पांडेय धीरे – धीरे पीठ की और खिसकते जा रहे थे। उनके हाथ में बंदूक थी, गोलियां भी थी। अंग्रेज अधिकारी अपने स्थान पर कांप रहे थे। मंगल पाण्डेय थोड़ी ही देर में आजाद होकर निकल जाने वाले थे। तभी , पीछे से बलिष्ठ हाथों ने उनकी कमर को जकड़ लिया। मंगल पाण्डेय टस से मस नहीं हो सके। पकड़ लिए गए। उन्हें फांसी दे दी गई। मंगल पाण्डेय को पीछे से पकड़ने वाला मजबूत हाथ किसका था।  एक साथी सिपाही का था। बैरेक में साथ रहता था, नाम था शेख पलटू! वह मुसलमान था जावेद अख्तर साहब। बोलो, कैसे यकीन करें कि आपके रगों में ऐन देश प्रेमियों का ही खून है !

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