नवादा से डी के अकेला की रिपोर्ट

० हिसुआ प्रोग्राम रद्द व पटना विश्वविद्यालय के छात्र संघ चुनाव में अपने प्रत्याशी को वापस कर NSUI उम्मीवार के समर्थन का असली माने- मतलब व मजबूरी क्या है.
नवादा ,27 मार्च 2025।
राजनीति कब किस करवट ले लेगी यह कहना बड़ी मुश्किल है . परिस्थिति के अनुकूल और अपने लाभ हानि के दृष्टिकोण से कौन राजनीतिक पार्टी व दल कौन सा मोड़ कब अख्तियार कर लेगा इसे बता पाना असंभव है। लेकिन सभी राजनितिक दलों की मौजूदा गति विधियों से कुछ अनुमान की भनक और असलियत का पता तो लग ही जाती है। किसी व्यक्ति,पार्टी व जन संगठन की असली पहचान उसकी क्रियाकलाप और अभिव्यक्तियों की ही तो होती है। किसी मशहूर शायर ने तभी तो ठीक ही कहा है कि “सच्चाई छिप नहीं सकती बनावट के वसूलों से , खुशबू आ नहीं सकती कभी कागज के फूलों से” वाली कहावत को हूँ-ब-हूँ चरितार्थ कर देता है। एक न एक दिन तो सच छान को फाड़कर बाहर निकल ही आता है लाख नापाक शाजिसों व कोशिशों के बावजूद।
प्रशांत किशोर की हालफ़िलहाल की कुछ गतिविधियाँ बिहार में एक नई राजनीतिक विसात बिछाने का संकेत का सूचक है। उनकी छटपटाहट से तरह-तरह की चर्चाएँ आम समाज में तेजी से तैरने लगी है।

जन सुराज पार्टी के संस्थापक व सूत्रधार सह पूर्व के कई राजनीतिक दलों के रह चुके सफल सलाहकार व रणनीतिकर प्रशांत किशोर की 26 मार्च को हिसुआ में होनेवाली आम सभा को आखिर एकाएक क्यों स्थगित कर देना पड़ा । आखिर कौन सी मजबूरी सहसा उतपन्न आ खड़ा हुई । जबकि हिसुआ आमसभा की पूरी तैयारी कर ली गई थी। लाखों रूपये खर्च हो चुके । जिले के सभी कार्यकर्ता काफी जोश-खरोश के साथ तन-मन-धन से सफल बनाने के लिए जमीन-आसमान एक कर रहे थे। क्षेत्र के गांव-गांव का सघन दौरा करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। विदित हो कि नवादा जिले के हिसुआ में प्रशांत किशोर की चुकी यह पहली चुनावी जनसभा थी,जो बेहद महत्वपूर्ण और काफी प्रभावशाली साबित होता। पर,इसके बावजूद भी इसे रद्द करने के पीछे क्या कारण था . यह बात उनके कार्यकर्ताओं,समर्थकों,चहेतों और आम अवाम के दिलों दिमाग में भी आज बेशब्री से बिजली की तरह कौंध रहा है। जनसभा की सारी पूर्ण तैयारी के बाद घोषित कार्यक्रम को रद्द कर देने से उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं का मनोबल तो टूटना लाजमी है। साथ ही आमलोगों में भी नाना प्रकार का संदेह,सबाल और भ्रम पैदा होना बिल्कुल स्वभाविक है। हिसुआ प्रोग्राम रद्द होने से जहाँ इनके कतार में खलबली व हताशा भयंकर मच जाना और आम जनता में अनेकों तरह की शंकाएं उतपन्न हो जाना तो लाजमी ही है। बिहार में पहली हिसुआ के घोषित आमसभा को बिना कोई कारण सार्वजनिक किये अविश्ववस्नीय अपरिहार्य कारण के स्थगित कर देना बेहद खेदजनक है।भविष्य के लिए काफी हानिकारक सिद्ध होने वाली है।

जन सुराज के सुप्रीमो की कल 25 मार्च की परिघटना बहुत विचित्र है। एक ओर जहाँ जिले के हिसुआ में आयोजित आमसभा को अचानक रद्द कर देना और दूसरी ओर पटना विश्वविद्यालय के छात्र चुनाव में जन सुराज के उम्मीदवार विनेश कुमार दीनू को वापस कर कांग्रेस के घटक संगठन एनएसयूआई के उम्मीदवार का राजा को खुलेआम समर्थन कर देना आखिर कौन सी मानसिकता और किस मजबूरी के शिकार हो जाने का परिचायक है। यह तो अनुमान ही लगाने का सवाल है। पटना में एक जन सुराज के छात्र संघ के उम्मीदवार पर ABVP के पक्षधर होने का तथाकथित आरोप में पार्टी उन्हें सस्पेंड कर दिया है। पार्टी से बाहर का रास्ता थमा दिया। पटना यूनिवर्सिटी में अन्य दलों के उम्मीवार को समर्थन न देकर आखिर कांग्रेस के ही उम्मीवार को समर्थन देने के पीछे अंदर की छीपे राज आखिर क्या है .
हिसुआ विधान सभा के संभावित उम्मीदवार हिसुआ से वर्तमान जिला परिषद के सदस्य रंजीत सिंह उर्फ़ चुन्नू सिंह हैं। दरअसल जो वास्तव में नवादा जिला के पांचों विधान सभा क्षेत्रों में जन सुराज के सबसे दमदार, बड़ा वजनदार व सही सक्षम सशक्त उम्मीदवार रंजीत सिंह उर्फ़ चुन्नू सिंह ही हैं।अप्रासंगिक होते जा रहे कांग्रेस विधायिका नीतू कुमारी को प्रत्यक्ष राजनीतिक क्षति करने की क्षमता अवश्यम्भावी था। कांग्रेस विधायक नीतू सिंह के हित की दृष्टिकोण से नवादा में पहली चुनावी आमसभा हिसुआ में जो तयसुदा था,जिसे अपरिहार्य कारण के बहाने जमीनी हकीकत को छुपाने की यह एक घृणित शाजिस या छलावा के अलावे और क्या है .आखिर कौन सी ऐसी आपदा, मुसीबत या अति महत्वपूर्ण अपरिहार्य कारण था जिसके चलते हिसुआ के घोषित प्रोग्राम रद्द करने के लिए विवस हो जाना पड़ा । यह हैरतअंगेज है इनके ही उक्त क्रिया कलाप से इनके ही कार्यकर्ता के साथ आम अवाम मनोबल टूटकर बहुत हतप्रभ है।अचानक तयसुदा हिसुआ के कार्यक्रम स्थगित कर देना और पटना वि.वि.छात्रसंघ के चुनाव जो बिहार में एक महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है, जिसे पार्टी के उम्मीदवार को वापस कर कांग्रेस को समर्थन करने का आखिर अंदरुनी कुछ माने मतलब तो जरूर है।
कल ही बिहार कांग्रेस के वरीय नेताओं की एक बैठक भी दिल्ली में होनेवाली थी,जिसमें कांग्रेस के बड़े नेता राष्ट्रिय अध्यक्ष खड़गे जी और प्रतिपक्ष के राष्ट्रिय नेता राहुल गांधी भी भाग लेने वाले थे। इसी बीच हिसुआ के जनसभा को रद्द करना तथा छात्रसंघ चुनाव में अपने ही उम्मीवार को एकाएक नामांकन वापस कर कांग्रेस उम्मीदवार को आनन-फानन या सोची-समझी पूर्व नियोजित योजनाबद्ध तरीके से सीधे समर्थन कर देना क्या यह बिहार में एक नई राजनीतिक की करवट लेने की आहट नहीं तो आखिर और क्या है . क्या नया गुल कुछ खिल रहा है ,सब के सब भौंचके,दंग, हैरान- परेशान हैं।
यहाँ सबसे ज्यादा मार्के की एक बात यह है कि राजद,बिहार इकाई के सुप्रीमो लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव द्वारा दी गई इफ्तार पार्टी का सिर्फ कांग्रेस ने ही वहिष्कार नहीं किया ,बल्कि जन सुराज पार्टी और भी.आई.पी.ने भी राजद के दावते ईफ़्तार पार्टी का खुलकर वहिष्कार किया। यह एक नए राजनीत का संकेत व इशारा है।
क्या अब यह कहने में कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है कि राजद द्वारा दिए गए इफ्तार पार्टी का कांग्रेस,VIP और जन सुराज पार्टी का सामूहिक वहिष्कार करने का साफ मतलब है कि बिहार की राजनीति में अभी इन तिकड़ी की एक नई खिचड़ी पकनी शुरू हो गई है,जिसका नेतृत्व कांग्रेस कर रही है। निकट भविष्य में ये पक रही खिचड़ी का सार्थक परिणाम व अंजाम भी परिलक्षित हो जायेगा।
अब यह साफ कहने में कोई भी हिचकिचाहट या झिझक नहीं है कि भावी बिहार विधान सभा चुनाव में अभी कई तरह के उथल-पुथल व फेर-बदल होना तो स्वभाविक तथा परिस्थिजन्य है।
जन सुराज पार्टी के नवादा के तमाम वरीय नेताओं से टेलीफोनिक सम्पर्क करने का भरसक प्रयास किया गया, मगर किसी ने टेलीफोन रिसीव नहीं किया तो किसी ने तो टेलीफोन का स्वीच ऑफ कर दिया। अपवाद स्वरूप एक साहसी,निर्भीक व जुझारू जन सुराज पार्टी के जमीनी नेता कन्हैया कुमार बादल ने बताया कि घोषित हिसुआ के आमसभा स्थगित करने के पीछे कुछ स्थानीय लोगों के हितसाधन से कदापि इंकार नहीं किया जा सकता है। यह पार्टी के हित में नहीं हैं। यह पार्टी के लिए एक करारा जबर्दस्त नुकसानदेह व आत्मघाती कदम है। पार्टी की विश्वसनीयता पर भी एक अमिट कलंकित धब्बा व टीका है। यह वास्तव में बिहार और खासकर नवादा वासियों के लिए अपमान व तौहिनी नहीं तो क्या है.
जन सुराज पार्टी के एक सबल समर्थक नवादा नगर के सुविख्यात होमियोपैथिक चिकित्सक सह समाज सेवी डॉ योगेन्द्र प्रसाद ने कहा कि प्रशांत किशोर कहते आ रहे थे कि हम किसी के पार्टी या दल का न समर्थन करेंगे या नहीं तो किसी के साथ गठबंधन करेंगे। क्योंकि हमाम में सभी नंगे हैं। हम स्वतंत्र बिहार में 243 सीटों पर विधान सभा की चुनाव लड़ेंगे।हम बिहार या देश में अप्रासंगिक हो चुके एनडीए और इंडिया महागठबंधन से समान दुरी बनाकर चलेंगे। इन सबों से मैं भी प्रभावित होकर समर्थक बन चुके थे।फिर आखिर कौन सी ऐसी अचानक परिस्थिति आ गई है कि देश के सभी दलों को छोड़कर कांग्रेस के साथ ही आपकी खिचड़ी क्यों पक रही है . एकाएक कांग्रेस से अगाध प्रेम उमड़ जाने के पीछे क्या अभिप्राय है . प्रशांत किशोर के प्रति हमें श्रद्धा व स्नेह था,लेकिन उक्त परिघटना को लेकर हमें अब सोचने के लिए मजबूर हो जाना पड़ा कि किन हालात में ये कांग्रेस से हाथ मिलाने या पिछलग्गू बनने को व्याकुल लगते है। जो जन सुराज पार्टी पहले कांग्रेस के घोर कट्टर विरोधी की नौटँकी करने और फिर आज उसी के हाथों की कठपुतली बनने के कगार पर खड़ी है। यह कैसी विडम्बना व कौन सी लाचारी तथा देशभक्ति है .यह जग जाहिर सच्चाई किसी से छुपी अब नहीं रह गई है। डॉ योगेंद्र प्रसाद ने आगे कहा कि जितनी तेजी से जन सुराज पार्टी की विकास हुई है , इन हरकतों से उतनी ही जल्दी इसका सर्वनाश भी हो जायगा। समय का इंतजार करें।
प्रशांत किशोर के कथनी और करनी में तो आसमान व जमीन का अंतर है। जन सुराज के भावी हिसुआ विधान सभा के उम्मीदवार रंजीत सिंह उर्फ़ चुन्नू सिंह हैं,जो कांग्रेस के वर्तमान विधायक नीतू सिंह के लिए जबर्दस्त सरदर्द बनकर अब गले का फ़ांस बन जाने से कोई इंकार नहीं कर सकता है। चुन्नू सिंह के पास योग्यता,क्षमता और कूबत भी है। नीतू कुमारी को लोहे की चना चबा देने में कोई अतिशयोक्ति नहीं है। इस परिस्थिति में जन सुराज की तय सुदा जनसभा रद्द हो जाना मानो घाटा के प्रत्यक्ष शिकार होने वाली कांग्रेस विधायका नीतू सिंह के लिए बतौर रामवाण तथा प्राणरक्षक दवा ही है। प्रत्यक्ष सर पर बर्दह्स्त है।

इन तमाम परिघटनाओं से यह स्पष्ट हो गया कि बिहार में एक नई राजनीति की विसात बिछने जा रही है। यह कोई नई बात नहीं कि यहाँ समसामयिक राजनीति के बदलते प्रस्थितिनुकूल अपने लाभ-हानी के नीयत तथा दृष्टिकोण से हमेशा बहू रूप गिरगिट की भांति बदलते ही रहता है। रंग बदलने में गिरगिट को भी ये काफी पीछे छोड़ कर मात दे दिया है। चन्द दिनों के दरम्यान लगे राजनीतिक कुहरा फट कर समाप्त हो जाने वाला है। असली चेहराअब जल्द ही सर्वत्र के सामने आ जाना है।