- शम्भू विश्वकर्मा

नवादा 12 मार्च 2025
बाप ने लगाया ढोलक पर ताल बेटा ने छेड़ दिया फगुआ का राग – ” केकरा संग जाऊं , नइहर दूर बसत हैं / ससुरा भैसुरा संग लाज लगत है , देवरा के मन बेईमान हो ।” सचमुच होली का त्यौहार ऊँच नीच ,अमीर-गरीब ही नहीं रिश्तों के बीच का औपचारिक बन्धन भी तोड़ देता है । सदर प्रखण्ड के पटवासराय गाँव स्थित आंगनबाड़ी भवन परिसर में 70 पार के बुजुर्गो ने बुधवार को जम कर होली का आनंद उठाया और सामाजिक समरसता का सन्देश दिया । गाँव के शिक्षाविद सह सेवानिवृत शिक्षक अवधेश कुमार के नेतृत्व में आयोजित होली मिलन समारोह में पारंपरिक फगुआ के साथ सामाजिक विडंबनाओं पर प्रहार करते हुए आधुनिक होली की भी धूम रही । ‘ नकबेसर कागा ले भागा ‘ से लेकर ‘ ‘ चन्दा तोरे में गोरखधंधा ‘ जैसे होली गीत पर बुजुर्गों में नई उमंग और नइ जोश का संचार देखा गया ।

खास बात ये रही कि नवादा समाहरणालय के सेवा निवृत लिपिक मथुरा पासवान ने ढोलक पर थाप लगाया तो उनके पुत्र मंझनपुरा के प्रधानाध्यापक संजय पासवान ने हारमोनियम पर संगत के साथ रसदार होली उड़ेल दी । ज्यूँ-ज्यूँ शाम ढलती गई ढोलक , हारमोनियम , झाँझ और करताल की गूंज तेज होती गई ।

इस उत्सव के विशिष्ठ अतिथि सेवानिवृत शिक्षक रामबिलास प्रसाद , रामरूप प्रसाद यादव , चन्द्रिका प्रसाद , समाजसेवी शम्भू विश्वकर्मा , मेडिकल कॉलेज के छात्र सुमित कुमार समेत गाँव के किशोरी राजवंशी , भरत नारायण सिंह , रामस्वरूप पासवान , रूपाली यादव , मिथु यादव , देवराज पासवान , सौदागर महतो , गोविन्द पंडित जैसे बुजुर्ग संस्कृतिकर्मी शामिल हुए और होली के समवेत स्वर के साक्षी बने ।
