
* स्त्रियों के प्रति मान , सम्मान और अक्षुण्ण प्यार , उन्हें सुरक्षा और भरोसा का आश्वस्ति करने के दिन है।
इसे संयुक्त राष्ट्र द्वारा चयनित राजनीतिक और मानव अधिकार विषयवस्तु के साथ महिलाओं के राजनीतिक एवं सामाजिक उत्थान के लिए मनाया जाता हैं। कुछ लोग बैंगनी रंग के रिबन पहनकर इस दिन का जश्न मनाते हैं। सबसे पहला दिवस, न्यूयॉर्क नगर में 1909 में एक समाजवादी राजनीतिक कार्यक्रम के रूप में आयोजित किया गया था। 1917 में सोवियत संघ ने इस दिन को एक राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया, और यह आसपास के अन्य देशों में फैल गया। इसे अब कई पूर्वी देशों में भी मनाये जाने लगा है।
किन्तु, भारत में ऐसा कोई दिवस की किसी को कल्पना में आने से पूर्व महिलाएं यहां पूज्य हैं, सम्माननीय हैं। यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।
यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।
उपरोक्त युक्ति मनुस्मृति की है!
मैं सरस्वती शिशु विद्यामंदिर मालवीय मार्ग, हजारीबाग के प्रबंध कार्यसमिति के मधुर छांव में कार्यरत सभी आचार्या भगिनी को इस अवसर पर उन्हें बधाई तथा आश्वस्त करता हूं कि अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर निर्गत सभी सुझावों, निदेशों को उनके हित में यथोचित ध्यान रखूंगा।

धन्यवाद!
सचिव!