राहुल: निशान-ए-पाकिस्तान ? 

ज्ञानचंद मेहता

निशान-ए–पाकिस्तान ! पाकिस्तान सरकार द्वारा प्रदान किया जाने वाला एक सर्वोच्च नागरिक सम्मान है, जिसे उच्चतम दर्जे की देश सेवा और पाकिस्तान राष्ट्र के प्रति की गयी सेवाओं के लिए प्रदान किया जाता है। 

 निशाने पाकिस्तान तो नहीं लेकिन, भारत के एक अभिनेता  दिलीप कुमार को पाकिस्तान ने ‘निशाने – ए – इम्तियाज’ से जरूर नवाजा गया था। आखिर पाकिस्तान के वे गरुड़ भी तो थे।  भारत – पाकिस्तान के बीच  युद्ध के  समय द ग्रेट फिल्म एक्टर दिलीप कुमार  की भूमिका कैसी रही थी, हमने कहीं न कहीं अवश्य पढ़ा, सुना है। उस दिलीप कुमार की तारीफ में शत्रुघ्न  सिन्हा बड़े रंजो ग़म में दिख जाते हैं, दिलीप कुमार को ‘भारत रत्न’ क्यों नहीं मिला ? अरे भाई, पुरुस्कारों का भी एक सुरक्षित सम्मान है।

        राहुल गांधी को अब तक देश विदेश से ऐसा कोई पुरस्कार नहीं मिला  है, जो उल्लेखनीय हो। अब निशाने पाकिस्तान के लिए उनके संघर्ष है तो कोई बुरा नहीं है । पहले भी यह पुरस्कार भारतीय नागरिक को मिला है।

    लेकिन, वर्तमान परिस्थितियों में जब हम पाकिस्तान के साथ एक सफल ऑपरेशन, ‘ऑपरेशन सिंदूर’ कर के गुजरे हैं, तो देश के विपक्ष के नेता औपचारिक भूमिका है कि वह एक स्वस्थ और सार्थक समीक्षा प्रतिवेदन सामने रखें। लेकिन, राहुल जी की गीदड़ घसीटी यह है कि ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान की निंदा करने में एक भी देश हमारे साथ क्यों नहीं खड़ा हुआ?  

        पाकिस्तान की निंदा हमारे पक्ष कोई तब करता जब पाकिस्तान हमारी सेना के किसी सिपाही का मस्तक काट कर ले जाता और हम टुकुर – टुकुर ताकते हैं। पाकिस्तान की निंदा कोई तब करता है जब 2008 में पाकिस्तानी आतंकी मुंबई में आकर धुआँ – धुआँ कर जाता है और पूरा देश स्तब्ध रहता है। सेना अनुमति मांगती है। कांग्रेस का प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह होंठों में ही मुस्कुरा कर रह जाते हैं तब दुनिया का देश भारत के कायर प्रधान मंत्री के लिए पाकिस्तान की निंदा करता है। यहां तो ऑलरेडी ऑर्डर ‘गोली मारे गोला दागो ’ तब किसी देश को पाकिस्तान की निंदा करने का अवसर कहां है। सभी देश तो अपनी दांतों में उंगलियां डाले अचरज में है, ‘अरे, भारत की यह हिमाकत ?’ नेहरू साहस नहीं करता था। पोक छोड़ कर भाग खड़ा हुआ था!  चीन को बहुत सारी सामरिक दृष्टि से महत्व पूर्ण जमीनें देकर भाग खड़ा हुआ ! अब यह नरेंद्र मोदी ताज्जुब !

      बल्कि, राहुल जैसा मिथ्या राग यहां अकेले अलापने की नाकाम कोशिश करते है उससे अधिक करुण पुकार पाकिस्तान में हो रहा है, ‘भारत जब हमें पीट रहा था तब मदद के लिए दुनिया का कोई  इस्लामी देश आगे नहीं आया। सिर्फ एक तुर्की मुल्क को छोड़ कर।’

     यह था मोदी जी का मैनेजमेंट !

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