एक प्रतिनिधि

नवादा , 17 मार्च 2025 ।
गुरुवार को होलिका दहन के साथ ही होली का महान और पारंपरिक पर्व शुरू हो गया।शहर के विभिन्न मोहल्ले के प्रजातंत्र,लाल चौक , भगतसिंह आदि चौक चौराहों के अलावा कई स्थानों के साथ जिले के प्रत्येक प्रखंड के हर गांव में होलिका दहन किया गया । छिटपुट घटनाओं को छोड़कर होली पर्व शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। इस अवसर पर जिला प्रशासन की ओर से चौकसी देखा गया।
होलिका दहन के अवसर पर लोगों ने होलिका की आग में अपनी बुराइयों को भस्म कर नये संवत साल में नये जीवन की शुरुआत की। इस अवसर पर नवयुवकों ने जगह-जगह होलिका दहन के स्थल पर लकड़ियों के ढेर जमा कर उसमें गाय के गोबर के उपले सजाये गये। इसके बाद पुरोहित के द्वारा मंत्र उच्चारण के साथ अग्नि और भक्त प्रहलाद की पूजा की गयी। होलिका की परिक्रमा की गयी। इसके बाद उसे अग्नि को समर्पित कर दिया गया । होलिका दहन के साथ ही पूरे वातावरण में होली के गीत ही गीत सुनाई देने लगी।
जिले के साथ प्रखंड़ एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इसके अगले दिन से ही हिंदू मान्यता के अनुसार नए साल के संवत की शुरुआत हो जाती है। फागुन मास की पूर्णिमा के बाद चैत्र मास का प्रारंभ होता है। हिंदू विक्रम संवत के अनुसार इसी दिन हिंदी तिथि से नए वर्ष की शुरुआत होती है। शुक्रवार को एक दिन का अतरा रहने के कारण उत्साह फीका रहा।
दुसरे दिन शनिवार को लोग परम्परागत घरों से निकल कर होली गीत पर झूमते हुए एक-दुसरे को गिली मिट्टी से भिगोते रहे। बुढ़े-बुजुगों के ढोलक और मंजिरों की धुन पर युवाओं की टोलियां नाचते-गाते झुमते रहे।

मान्यता है कि शहर हो या गांव में पीढ़ी दर पीढ़ी होलिका दहन के सुबह होलिका दहन के स्थान पर जाकर गांव के ही प्रमुख व्यक्तियों द्वारा अलहे सुबह होलिका दहन स्थल पर पंडितों द्वारा वैदिकमंत्रों उच्चारण करते हुए शरबत एवं दुध द्वारा अग्नि को बुझाकर उस राख को उड़ाया जाता है।जहां सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद रहते हैं।इस दौरान ग्रामीणों क्षेत्रों में ढोलक,झाल एवं अन्य साज सज्जा के साथ पारम्परिक होली गीत का गायन कर एक अनोखी समां बंध जाता है ।आज बिरज में होरी रे रसिया–राधा श्याम संग खेले होली आज धरती पर रंग बरसे समेत अन्य पारंपरिक होली के गीतों में लोग झूमते रहे।लोगों ने जमकर होली का आनंद उठाते हुए समामाजिक समरसता का संदेश दिया।
क्या कहते हैं पौराणिक धार्मिक कार्यकर्ता
बेस्ट बंगाल की राजधानी कोलकाता में केंद्रीय प्रोविडेंट फंड में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर कार्यरत रहे संजय कुमार बताते हैं कि गांव में ऐसी मान्यता है कि मेरे पूर्वजों द्वारा ही गांव में होलिका दहन के स्थान पर राख उड़ाकर होली की शुरुआत की जाती रही है।पहले दादाजी फिर पिताजी उसके बाद मैं अब से लगातार इस पौराणिक धार्मिक कार्य को करता आ रहा हूं।बाद में उन्होंने पौराणिक कथाओं के जरिए होली का महत्व समझाया एवं एक दूसरे को गुलाल लगाकर होली के रंग के साथ सामाजिक रंग भी नजर आया।उन्होंने ग्रामीणों से शांति और सौहार्द के साथ होली मनाने की अपील की।समारोह में शामिल लोगों के लिए श्री संजय कुमार के द्वारा लजीज व्यंजनों की व्यवस्था की गई थी।मौके पर ग्रामीणों ने एक दूसरे से मिलकर होली के गीत गाकर एक दूसरे को अबीर गुलाल लगाकर होली पर्व की शुभकामनाएं दी।
शनिवार को मनायी गयी होली
मगध क्षेत्र सहित नवादा जिले सहित सभी प्रखंडों में भी गुरुवार की रात्रि में होलिका दहन के बाद इस वर्ष होली शुक्रवार को नहीं मनाई गई । बल्कि इसके बदले शनिवार को होली का पर्व मनाया गया। क्योंकि शुक्रवार की सुबह 11:15 बजे दिन तक पूर्णिमा का ही मुहूर्त था। पूर्णिमा बरकरार रहने के कारण शुक्रवार को शास्त्रों के अनुसार होली नहीं मनाई जा सकी क्योंकि शास्त्रों में उदीयमान तिथि से ही कोई भी पर्व त्योहार मनाने की परंपरा है।शुक्रवार को 11:15 बजे तक पूर्णिमा ही रहेगी इस कारण उदीयमान तिथि से गुरुवार की रात्रि 10:37 के बाद पूर्णिमा होने के बावजूद शुक्रवार को पूर्णिमा की तिथि मानी जायेगी।होली पूर्णिमा के अगले दिन सुबह में मनाई जाती है।ऐसे में उदीयमान (सूर्योदय के बाद आने वाला अगला दिन) तिथि के आधार पर शास्त्र के अनुसार मगध क्षेत्र के साथ-साथ नवादा जिले में शनिवार को होली एवं रविवार को बुढ़वा होली का पर्व मनाया गया।