शोषितों, पीड़ितों व वंचितों की आवाज थे अमर शहीद     जगदेव प्रसाद ….

रविकान्त वर्मा

० अमर शहिद जगजेव प्रसाद जी की 102 वीं जयंती दिवस बिशेष 

० 2 फरवरी 2024 के अवसर पर शत् शत् नमन

दलितों व पिछड़ों के मसीहा बाबू जगदेव प्रसाद सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक असमानता के खिलाफ आजीवन संघर्ष करने वाले बाबू जगदेव प्रसाद का जन्म बिहार के अरवल जिला के कुरहारी (कुर्था) ग्राम में 2 फरवरी 1922 को एक पिछड़ा परिवार में हुआ था. बचपन से ही उनकी प्रवृति असमानता के खिलाफ एक लड़ाकू का रहा है |

               सुप्रसिद्ध फ्रांसीसी क्रान्ति (1789) के मूल सिद्धांत आजादी, समानता और भाईचारा, जो पूरे विश्व में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक बदलाव के लिए प्रेरणास्रोत बना , इस क्रांति के मूल सिद्धांतों से प्रेरित होकर शहीद बाबू जगदेव प्रसाद जी ने बिहार में वंचितों की आवाज को बुलंद किया, फलस्वरूप सामंती ताकतों के लिए चुभने लगे | 

      जहानाबाद की एक सभा में उन्होंने क्रांतिकारी नारा दिया था…..

“””दस का शासन नब्बे पर,

नहीं चलेगा, नहीं चलेगा. सौ में नब्बे शोषित है,

नब्बे भाग हमारा है.

धन-धरती और राजपाट में,

नब्बे भाग हमारा है.””””

5 सितम्बर 1974 को जगदेव बाबू हजारों की संख्या में शोषित समाज का नेतृत्व करते हुए अपने दल का काला झंडा लेकर आगे बढ़ने लगे. कुर्था में तैनात डी. एस. पी. ने सत्याग्रहियों को रोका तो जगदेव बाबू ने इसका प्रतिवाद किया और विरोधियों के पूर्वनियोजित जाल में फंस गए. पुलिस ने उनके ऊपर गोली चला दी. गोली सीधे उनके गर्दन में जा लगी, वे गिर पड़े.सत्याग्रहियों ने उनका बचाव किया, किन्तु क्रूर पुलिस घायलावस्था में उन्हें पुलिस स्टेशन ले गयी. पुलिस प्रशासन ने उनके मृत शरीर को गायब करना चाहा,  लेकिन भारी जन-दबाव के चलते उनके शव को 6 सितम्बर को पटना लाया गया, उनकी अंतिम शवयात्रा में देश के कोने-कोने से लाखो-लाखों लोग पहुंचे |

           समाज के महान क्रांतिकारी महापुरुष जिन्होंने दलितों और पिछड़ों समाज में शोषितों पीड़ितों व वंचितों की आवाज को देकर देश‌ प्रदेश में राजनीति में भूचाल लाते हुए क्रांतिकारी बदलाव लाये, समाज के ऐसे विरले महापुरुष शहीद बाबू जगदेव प्रसाद जी की जयंती पर हमसबो को उनके जीवनी को पढ़कर उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है |

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