दिनेश कुमार अकेला
नवादा , 09 जून 2025 ।

जिले का सबसे बड़ा और तैरता हुआ( बिजली घर) फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनकर तैयार है। बताया जाता है कि रजौली अनुमंडल के अन्तर्गत ऐतिहासिक फुलवरिया जलाशय में बन रहे बिजली घर का निर्माण कार्य काफी जोर शोर से किया जा है। इस संबंध में मिली जानकारी के अनुसार एक-दो माह के अंतराल में इस बिजली घर से दस मेगावाट बिजली का उत्पादन प्रारंभ हो जायेगा।

सदन रहे कि नवादा जिले का यह पहला और बिहार का तीसरा तैरता हुआ अनोखा बिजली घर होगा। बिजली कम्पनी के अधिकारीयों से प्राप्त जानकारी अनुसार रजौली के फुलवरिया जलाशय में पिछले कई माह से काम चल रहा है ।
ज्ञातव्य हो कि रेस्को मोड के अंतर्गत उक्त बिजली घर का निर्माण कार्य जारी है। निर्माण एजेंसी द्वारा इस कार्य को पूरी लगन से की जा रही है। बताया तो यह भी जा रहा है कि कम्पनी इस बिजली घर से 3.87 रूपये प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदेंगी । कम्पनी ने एजेंसी को जुलाई माह तक सभी कार्य को पूरा कर बिजली उत्पादन शुरू कर देने का लक्ष्य निर्धारित कर दिया गया है।

बताया तो यह भी जा रहा है कि इसी का देखा-देखी बिहार के सभी जिलों में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाने पर बड़ी तेजी से होड़ लगी हुई है। तथा कई जिलों में इस कार्य भी युद्ध स्तर पर किया जा रहा है । इसके लिए कम्पनी द्वारा निविदा भी जारी की जा रही है। यह योजना“नीचे मच्छली और ऊपर बिजली घर योजना के अन्तर्गत उत्तर- दक्षिण बिहार में दो-दो मेगावाट का बिजली घर बनाने के लिए सर्वे भी शुरू कर दिया गया है।
सनद रहे राज्य के दरभंगा जिले में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट चालू कर दिया गया है। उक्त सोलर पावर प्लांट से प्रति दिन 1.6 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। साथ ही साथ सुपौल के राजपोखर तालाब में भी फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट लगाया गया है। जो कि यहाँ से मात्र 525 किलोवाट बिजली उत्पादन का कार्य जारी है।
फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट क्या है :-
फ्लोटिंग सोलर सिस्टम अथवा ‘फ्लोटोवोल्टइक ‘ में सोलर मॉड्यूल को पानी के ऊपर तैरने के लिए बनाया जाता है। पैनल ऊर्जा उतपन्न करती है,जो पानी के नीचे के तारों के माध्यम से ट्रांसमिशन टावर तक आसानी से पहुंचा देता है। दुनिया में सबसे पहली तैरती हुई सौर संरचना वर्ष 2007 में जापान में बनी थी। लेकिन वह प्लांट बहुत छोटा था। इसे सिर्फ 20 किलोवाट के लिए डिजाइन किया गया था। मात्र 07 साल बाद ही 2014 में इसकी औसत क्षमता बढ़कर 0.5 मेगावाट हो गई। फिर एक साल बाद जापान में अत्याधुनिक तकनीक से 7.55 मेगावाट बिजली उत्पादन होने लगा।
इसके बाद कई देशों में और खासकर एशिया महादेश में मल्टी मेगावाट क्षमता वाले प्लांट स्थापित किये जाने लगे।बिहार में कुल 3300 से अधिक तालाब व जलाशय उपलब्ध है। अगर इन सबों में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाएं जाय तो सैकड़ों मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता बिहार में मौजूद है। बिजली कम्पनी इसी रणनीति पर कार्यरत है। बिहार को बिजली से निजात दिलाकर पूर्ण आत्मनिर्भर होकर दूसरे राज्यों में बिहार बिजली बेचेगी। जनता को राहत और सरकारी राजस्व में भी गुणात्मक बढ़ोतरी होगी। यह एक जन उपयोगी लाभप्रद योजना है। * रिपोर्ट : – डी के अकेला *
फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट क्या है :-
फ्लोटिंग सोलर सिस्टम अथवा ‘फ्लोटोवोल्टइक ‘ में सोलर मॉड्यूल को पानी के ऊपर तैरने के लिए बनाया जाता है। पैनल ऊर्जा उतपन्न करती है,जो पानी के नीचे के तारों के माध्यम से ट्रांसमिशन टावर तक आसानी से पहुंचा देता है। दुनिया में सबसे पहली तैरती हुई सौर संरचना वर्ष 2007 में जापान में बनी थी। लेकिन वह प्लांट बहुत छोटा था। इसे सिर्फ 20 किलोवाट के लिए डिजाइन किया गया था। मात्र 07 साल बाद ही 2014 में इसकी औसत क्षमता बढ़कर 0.5 मेगावाट हो गई। फिर एक साल बाद जापान में अत्याधुनिक तकनीक से 7.55 मेगावाट बिजली उत्पादन होने लगा।
इसके बाद कई देशों में और खासकर एशिया महादेश में मल्टी मेगावाट क्षमता वाले प्लांट स्थापित किये जाने लगे।बिहार में कुल 3300 से अधिक तालाब व जलाशय उपलब्ध है। अगर इन सबों में फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनाएं जाय तो सैकड़ों मेगावाट बिजली उत्पादन करने की क्षमता बिहार में मौजूद है। बिजली कम्पनी इसी रणनीति पर कार्यरत है। बिहार को बिजली से निजात दिलाकर पूर्ण आत्मनिर्भर होकर दूसरे राज्यों में बिहार बिजली बेचेगी। जनता को राहत और सरकारी राजस्व में भी गुणात्मक बढ़ोतरी होगी। यह एक जन उपयोगी लाभप्रद योजना है।