सुरेश प्रसाद आजाद
० पराली जलाने के मामले में नवादा जिला में 33 किसानों का
किया गया पंजीयन रद्द …
० कृषि योजनाओं से रहेंगे वंचित सबसे अधिक नवादा सदर
प्रखंड के 11 किसानों पर हुई कार्रवाई…

जिला कृषि पदाधिकारी, नवादा द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग द्वारा दिये गये निदेश के बावजूद पराली जलाने से किसान बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे किसानों के विरूद्ध कृषि विभाग द्वारा कठोर कदम उठाये गये हैं। ऐसे किसानों को चिन्हित कर उनका पंजीयन रद्द करने एवं उन्हें कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित करने का काम तेजी शुरू कर दिया गया है। अब तक नवादा जिले में प्रखण्डवार कुल 33 किसानों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई की गई है। सभी चिन्हित किसानों का किसान पंजीयन विभाग द्वारा रद्द करते हुए कृषि विभाग के विभिन्न योजनाओं के लाभ से वंचित कर दिया गया है। प्रखण्डवार चिन्हित किसानों के विरूद्ध की गई कार्रवाई में हिसुआ-03, काशीचक-03, नरहट-04, नवादा सदर-11, पकरीबरावां-07 एवं वारिसलीगंज-05 कुल-33 किसान योजनाओं के लाभ से वंचित होंगे ।
नवादा जिला अन्तर्गत पराली जलाने वाले कुल 33 किसान कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं के लाभ उठाने से अगले 03 वर्षों तक वंचित रहेंगे । यानि अगले तीन वर्षों तक कृषि विभाग द्वार उक्त किसानों को सरकार द्धारा संचालित किसी भी योजना का लाभ नहीं ले पायेंगे।
जिला पदाधिकारी, नवादा द्वारा दिये गये महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश

जिला पदाधिकारी, नवादा द्वारा विभाग के सभी पदाधिकारियों/कर्मियों को निदेश दिया गया कि किसान अपने खेतों में पराली न जलायें इसके लिए विभाग अपने स्तर से प्रचाार-प्रसार कर पराली जलाने से होने वाले नुकसान/कृषि में आधुनिक कृषि यंत्रों के उपयोग से होने वाले लाभ को किसानों के बीच पहुचायें। ताकि पराली जलाने की घटना को कम किया जा सके।
जिला कृषि पदाधिकारी, नवादा द्वारा बताया गया कि कृषि विभाग, बिहार, पटना द्वारा प्राप्त दिशा-निर्देश के आलोक में महत्वपूर्ण घटक फसल अवशेष प्रबन्धन के तहत् फसल अवशेष जलाने की घटना को नियंत्रित करने के हेतु नवादा जिला के द्वारा विभिन्न तरह के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने विस्तार पूर्वक कहा है कि फसल अवशेष को खेतों में जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है जिसके कारण मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से हीं हमारी मिट्टी में कम है और भी जल कर नष्ट हो जाती है। फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है।
फसल अवशेषों को जलाने से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु यथा-केचुंआ आदि मर जाते हैं। इनके मिट्टी में रहने से हीं मिट्टी जीवन्त रहती है। अवशेषों को जलाने से हम मिट्टी को मरणासन्न अवस्था की ओर ले जाते हैं।
.फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी में नाईट्रोजन की कमी हो जाती है जिसके कारण उत्पादन घटता है।
जिला कृषि पदाधिकारी के द्वारा सभी किसान भाईयों से अपील की गई है कि खेतों में फस्ल अवशेष का न जलायें। यदि फसल की कटाई हार्वेस्टर से करते हैं तो खेत में फसल अवशेष को जलाने के बदले स्ट्रॉ रीपर मशीन का उपयोग कर अवशेष को भूसा बना लें। अपने फसल के अवशेषों को खेतों में जलाने के बदले वर्मी कम्पोस्ट बनाने, मिट्टी में मिलाने, पलवार विधि से खेती आदि में व्यवहार कर मिट्टी को बचायें तथा संधारणीय कृषि पद्धति में अपना योगदान दें।

