नशामुक्त भारत अभियान अन्तर्गत मास्टर स्वयं सेवकों का हुआ प्रशिक्षण

सुरेश प्रसाद आजाद 

नवादा ,07 मार्च 2025 ।

आज डीआरडीए सभागार में जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग के तत्वाधान में सामाजिक सुरक्षा निदेशालय, पटना, बिहार द्वारा नशामुक्त भारत अभियान अन्तर्गत मास्टर स्वयं सेवकों का प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सहायक निदेशक, जिला सामाजिक सुरक्षा कोषांग श्री अमरनाथ कुमार की अध्यक्षता में कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। मास्टर ट्रेनर श्री सुशील कुमार शर्मा एसएलसीए द्वारा नशीले पदार्थाें के प्रकार और उनके प्रभाव के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया। उन्होंने बताया कि भारत में नशीले पदार्थों का सेवन और इसकी लत एक उच्च जोखिम वाले नतीजों के रूप में सामने आई है, जो व्यक्ति, उनके परिवार और समाज के लिए खतरा है। इसके लिए, रोकथाम सबसे प्रभावी दृष्टिकोण साबित हुआ है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय इम्स की मांग में कटौती करने के लिए नोडल मंत्रालय है जो कई हस्तक्षेपी का समन्वय, कार्यान्वयन और निगरानी करता है जिसमें समस्या की रोकथाम, मूल्यांकन, उपयोगकर्ताओं के उपचार और पुनर्वास, सूचना और जनता के बीच जागरुकता का प्रसार शामिल है।

   भारत में नशीले पदार्थों के उपयोग की व्यापकता के बारे में बताया गया कि मंत्रालय ने 2018 के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के राष्ट्रीय औषधि निर्भरता उपचार केंड (एनडीडीटीसी) के माध्यम से भारत में नशीले पदार्थों के उपयोग और विस्तार के पैटर्न पर पहला राष्ट्रीय सर्वेक्षण किया है। रिपोर्ट के कुछ निष्कर्षों के अनुसार यह है कि (1) शराब भारतीयों द्वारा भांग और ओपियोइड्स के बाद इस्तेमाल किया जाने वाला सबसे आम मनः प्रभावी नशीला पदार्थ है। (२) देश में लगभग 16 करोड़ व्यक्ति शराब का सेवन करते हैं,  5.7 से अधिक करोड़ व्यक्ति हानिकारक या आश्रित शराब के उपयोग से प्रभावित होते हैं और उन्हें शराब के उपयोग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता होती है। (3) भारत में 3.1 करोड़ों लोग भांग के उत्पादी का उपयोग करते हैं। लगभग 25 लाख भांग की निर्भरता से पीड़ित हैं। (4) 2.26 करोड़ में ओपिओइड का उपयोग होता हैय लगभग 77 लाख व्यक्तियों को अपने ओपिओइड उपयोग की समस्याओं के लिए मदद की आवश्यकता होती है। (5) 1.7 प्रतिशत बच्चे और किशोर अस्वस्थ उपयोगकती हैं। लगभग 18 लाख बच्ची को अमानवीय उपयोग के लिए मदद की आवश्यकता है। (6) लगभग 8.5 लाख लोग ड्रग के एंजेक्शन (पीडब्ल्यूआईडी) लगा रहे हैं। निष्कर्ष से यह भी संकेत मिलता है कि सबसे कमजोर आयु वर्ग उन बच्चों का है जिन्हें नशीले पदार्थों के व्यापक सेवन से बचाया जाना है।

 सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस संबंध में ड्रग्स की मांग में कौटती (एनएपीडीडीआर) करने के लिए एक राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की है। यह योजना एक अम्ब्रेला स्कीम है जिसमे निवारक शिक्षा और जागरुकता सूजन, क्षमता निर्माण, उपचार और पुनर्वास, गुणवत्ता मानको की स्थापना, कमजोर क्षेत्रों में फोकल हस्तक्षेप, कौशल विकास, व्यावसायिक प्रशिक्षण और पूर्व-ड्रग्सओं का सर्वेक्षण, आजीविका का समर्थन, अध्ययन, मूल्यांकन और अनुसंधान के तत्व शामिल हैं। परियोजनाओं और योजनाओं को क्रियान्वयन के लिए वित्त पोषित किया जाता है और देश में ड्रग्स की मांग में कटौती करने की दिशा में पहल भारत सरकार, राज्य/संघ राज्य क्षेत्र की सरकारी, गैर सरकारी संगठनों, न्यासी और स्वायत्त संगठनों, तकनीकी मंचों, अस्पतालों और जेल प्रशासनों जैसी कार्यान्वयन एजेंसियों के माध्यम से की जाती है। युवा किसी भी राष्ट्र की ऊर्जा होते हैं तथा युवाओं की शक्ति का समाज एवं देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान है।

            अतः यह अति आवश्यक है कि नशामुक्त भारत अभियान में सर्वाधिक संख्या में युवा जुड़े। देश की इस चुनौती को स्वीकार करते हुए हम आज नशामुक्त भारत अभियान के अंतर्गत एक जुट होकर प्रतिज्ञा करते हैं कि न केवल समुदाय, परिवार, मित्र, बल्कि स्वयं को भी नशामुक्त कराएँगे क्योंकि बदलाव की शुरुआत अपने आप से होनी चाहिए। इसलिए आइए हम सब मिलकर अपने नवादा जिला को नशामुक्त कराने का दृढ निश्चय करें। उन्होंने शपथ दिलाया कि-

 *’’मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अपने देश को नशामुक्त करने के लिए अपनी क्षमता के अनुसार हर सम्भव प्रयास करूँगा।’*      आज के इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में केएलएस कॉलेज, नवादा के एनएसएस, चयनित मास्टर, स्वयं सेवी और नेहरू युवा केन्द्र संस्था के चयनित मास्टर एवं जिला सामाजिक सुरक्षा के कर्मी आदि उपस्थित थे।

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