नवादा में कोर वोटरों की निष्क्रियता और बाहरी -भीतरी क़े भीतरघात से भाजपा प्रत्याशी विवेक ठाकुर की राह हुआ कठिन 

  • राजेश कुमार

० लव-

कुश समाज के वोटरों ने फूल क़े बजाय कुल(जाति) को किया पसंद, राजद का समीकरण क़े आधार पर बना पकड़ 

  ०  मोदी लहर और कोर वोटरों पर निर्भर रहना भाजपा प्रत्याशी विवेक ठाकुर को कहीं महंगा न पड़ जाय.पहले चरण में हुए मतदान ने भाजपा की चिंता बढ़ा दी है. भाजपा को नवादा सीट पर कड़ी टक्कर मिली है. इसके पीछे की कई वजहें हैं, जिनमें नवादा में बाहरी प्रत्याशी को उतारना भाजपा के लिए गले की फांस साबित होते हुई दिख रही है. इसके साथ हीं भीतरघात की भी खबर है. कोर वोटरों में भाजपा प्रत्याशी को लेकर कोई उत्सुकता नहीं रही. लिहाजा भाजपा के परंपरागत वोटर मतदान कराने को लेकर सक्रिय नहीं दिखे. असर यह हुआ कि पोलिंग प्रतिशत काफी कम रहा. साथ ही सहयोगी दल जेडीयू का भी भरपूर साथ नहीं मिला. लव-कुश समाज के वोटरों ने भी भाजपा प्रत्याशी को गच्चा दिया. लव-कुश समाज के वोटरों ने फूल की बजाय कुल(जाति) को पसंद किया है. कुल मिलाकर कहें तो नवादा सीट पर भाजपा संकट में है.

  ० पहले चरण में हीं नवादा में मतदान संपन्न हो गया है. मतदान के बाद अब हार-जीत की चर्चा शुरू हो गई है. कौन प्रत्याशी हार रहा और किन्हें जीत मिल रही, इस पर चर्चा शुरू है. भीतरघात की भी खूब चर्चा हो रही. भाजपा के कोर वोटरों की नाराजगी पर भी बात हो रही है. नवादा में भाजपा ने राज्य सभा सांसद विवेक ठाकुर को चुनावी मैदान में उतारा. विवेक ठाकुर नवादा संसदीय क्षेत्र से ताल्लुक नहीं रखते हैं. बाहरी को टिकट दिए जाने के बाद भाजपा के अंदर ही भारी नाराजगी देखने को मिली थी. इस सीट पर भाजपा के कई स्थानीय और मजबूत दावेदार थे. लेकिन बीजेपी ने बाहरी विवेक ठाकुर को प्रत्याशी बना दिया. इससे अंदर ही अंदर कई नेता नाराज हो गए. कहा जाने लगा कि नेतृत्व ने हम पर बाहरी उम्मीदवार जबरन थोप दिया है,जिसे हम मंजूर नहीं करेंगे. हालांकि नेतृत्व ने नाराज नेताओं को मना लिया. इसके बाद नाराज नेता विवेक ठाकुर के पक्ष में बेमन से प्रचार करने लगे. इनकी उम्मीदवारी को न सिर्फ नेता बल्कि नवादा के लोग भी पचा नहीं पाए. खबर है कि अंदर ही अंदर भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ जमकर भीतरघात हुआ है. कोर वोटरों ने भी विवेक ठाकुर को बेमन से स्वीकार किया. इसका प्रभाव वोटिंग पर भी पड़ा. कोर वोटर घरों से निकले नहीं या अनमने ढंग से वोट किया. लिहाजा वोट प्रतिशत काफी कम रहा. इसका नुकसान भाजपा प्रत्याशी को सीधे तौर पर होते दिख रहा है.

 ० वारिसलीगंज में सीएम की चुनावी सभा में ही खुल गई थी पोल : वोटिंग से पहले भी चुनाव प्रचार के दौरान भाजपा प्रत्याशी को लेकर लोगों में कोई उत्साह नहीं दिखा.  मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वारिसलीगंज में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करने पहुंचे थे. चुनावी सभा में भीड़ देकर उसी दिन अनुमान लग गया था कि कैंडिडेट के पक्ष में कोई लहर नहीं है. कहा जाता है कि मुख्यमंत्री की सभा पांच-छह सौ लोग ही पहुंचे थे. मंच से स्थानीय विधाय़क अरूणा देवी ने इसे स्वीकार किया था. सभा को संबोधित करते हुए भाजपा विधायक ने लोगों की कम संख्या पर सफाई दी थी और कहा था कि टाइमिंग सही नहीं होने की वजह से कम भीड़ है. दोपहर 11 बजे के बाद काफी गर्मी हो जा रही है. इसी वजह से लोग नहीं आये . जानकार बताते हैं कि भाजपा के स्थानीय नेता-कार्यकर्ता ही अपने प्रत्याशी को पचा नहीं पा रहे थे. नेता-कार्यकर्ता सिर्फ शरीर से भाजपा प्रत्याशी के साथ थे, मन से नहीं. नतीजा हुआ कि विवेक ठाकुर के पक्ष में माहौल नहीं बन पाया.

 ० भाजपा के समीकरण वाला वोट राजद के पक्ष में चला गया : जानकार बताते हैं कि रही-सही कसर कसर जेडीयू से जुड़े वोटरों ने पूरी कर दी. बताया जाता है कि नवादा संसदीय क्षेत्र में कुशवाहा वोटरों की पहली पसंद राजद बन गया. राजद ने इस सीट से श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया था. इसका लाभ भी मिलते दिखा. बताया जाता है कि सभी विधानसभा क्षेत्रों में अधिकांश कुशवाहा वोटरों ने राजद के पक्ष में मतदान किया है. वहीं कहीं-कहीं कुर्मी वोटरों का झुकाव भी राजद के पक्ष में रहा. खबर है कि इस बार अशोक महतो फैक्टर भी काम किया है. जिस वजह से अशोक महतो के प्रभाव क्षेत्र वाले इलाके में कुर्मी वोटरों ने राजद के पक्ष में मतदान कर दिया.  नीतीश कुमार के गठबंधन की वजह से भाजपा जिस वोट को अपना बता रही थी वह भी राजद के पाले में जाते दिखा.

 ० गुंजन सिंह के प्रति दिखी सहानुभूति : नवादा संसदीय क्षेत्र भोजपुरी गायक गुंजन सिंह भी निर्दलीय चुनावी मैदान में है. गुंजन सिंह भी भूमिहार समाज से आते हैं. इन्होंने भी कुछ जगहों पर भाजपा प्रत्याशी के वोट बैंक में सेंध लगाई है. विवेक ठाकुर से नाराज भाजपा के कोर वोटरों ने निर्दलीय प्रत्याशी गुंजन सिंह के पक्ष में वोटिंग किया है. बरबीघा, वारिसलीगंज समेत कई अन्य इलाकों में नौजवान वोटरों ने निर्दलीय गुंजन सिंह के पक्ष में मतदान किया है.ऐसी खबर आ रही है.

 ०/भाजपा प्रत्याशी क़ो मोदी लहर और निर्दलीय प्रत्याशी विनोद यादव पर ही भरोसा : भाजपा को अब सिर्फ पीएम दी मोदी लहर और निर्दलीय विनोद यादव पर ही भरोसा है. विनोद यादव कद्दावर नेता राजवल्लभ यादव के भाई है. राजद से बगावत कर विनोद यादव नवादा सीट से चुनावी मैदान में हैं. वे अपने आप को राजद का असली नेता बताकर वोट मांगा है. लेकिन इस बार के चुनाव में राजवल्लभ परिवार का जादू चलते हुई नहीं दिखा. नवादा आसापास के क्षेत्र के छोड़ दें तो यादव वोटरों में बड़ी सेंध लगाने में विनोद यादव सफल नहीं हो सके हैं. खबर है कि विनोद यादव अपनी जाति का तीस फीसदी वोट से ज्यादा काटने में कामयाब नहीं हुए हैं.

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