राजस्थान के टोंक जिले के झोपड़ियां गांव में 5 मई को एक ऐसी अनोखी शादी हुई, जो पूरे क्षेत्र में चर्चा का केंद्र बन गई है। यहां हरिओम मीणा ने एक ही मंडप में दो सगी बहनों—कांता और सुमन—से विवाह कर न केवल परंपराओं को नया आयाम दिया, बल्कि भावनात्मक रिश्तों और मानवीय मूल्यों की भी मिसाल पेश की।

शादी की शुरुआत पारंपरिक रूप से तब हुई जब हरिओम का रिश्ता सीदड़ा गांव के बाबूलाल मीणा की बड़ी बेटी कांता से तय हुआ। लेकिन जब हरिओम का परिवार रिश्ता पक्का करने पहुंचा, तो कांता ने एक शर्त रख दी—वो शादी तभी करेगी जब उसकी मानसिक रूप से कमजोर छोटी बहन सुमन भी साथ चलेगी।
कांता का अपनी बहन के प्रति ये लगाव और ज़िम्मेदारी देख परिवार वाले पहले तो हैरान रह गए, लेकिन जल्द ही उन्होंने इस मानवीय रिश्ते की गहराई को समझा और इस रिश्ते को स्वीकार कर लिया।

5 मई को गांव में आयोजित इस विवाह समारोह में हरिओम ने दोनों बहनों के साथ सात फेरे लिए, और पूरे समाज ने इस निर्णय की सराहना की। शादी के बाद दोनों बहनों का ससुराल में सम्मानपूर्वक और खुशी-खुशी स्वागत किया गया।
यह शादी सिर्फ एक पारिवारिक उत्सव नहीं थी, बल्कि समाज के लिए एक नई सोच और बदलाव का प्रतीक बन गई। यह दिखाता है कि रिश्ते सिर्फ रस्मों और परंपराओं तक सीमित नहीं होने चाहिए, बल्कि उनमें संवेदनशीलता, प्रेम और आपसी समझ की भावना होनी चाहिए।
कांता ने अपनी बहन के लिए जो स्नेह और समर्पण दिखाया, वह निश्चय ही प्रेरणादायक है। वहीं हरिओम और उनके परिवार ने जिस खुले मन और उदार सोच से इस रिश्ते को अपनाया, वह उनकी सहृदयता और मानवीयता को दर्शाता है।
यह अनोखा विवाह समाज को यह सीख देता है कि अगर रिश्तों में प्रेम और समझ हो, तो सामाजिक सीमाएं भी छोटी पड़ जाती हैं।
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