-सुरेश प्रसाद आजाद

विश्व लोकप्रिय प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी द्वारा 8 मार्च ( शुक्रवार) अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में प्रथम राष्ट्रीय रचनाकार पुरस्कार (नेशनल क्रिएटिर्स अवार्ड ) प्रदान किया गया ।
इस अवसर पर कथा वाचक एवं मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी जी को भी सम्मानित किया गया । अपनी मधुर आवाज में गीता ज्ञान से लेकर अध्यात्म की तरफ अलख जगा रही जया किशोरी जी को बेस्ट क्रिएटर फॉर सोशल चेंज का अवार्ड दिया गया ।
अवार्ड देने के क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बात -चीत के क्रम में मोदी जी ने जया जी से पूछा कि जया जी आपने लोगों में अध्यात्म की दुनिया की तरफ बड़े ही आधुनिक तरीके से लोगों में रुचि फैलाई । अपने बारे में कुछ बताइए …. इस प्रश्न के उत्तर में जया किशोरी जी ने कही मैं कथाकार हूं । श्रीमद् भागवत गीता करती हूं । गीता के ऊपर बातें करती हूं , क्योंकि मेरा बचपन ही इन्ही चीज को लेकर गुजरा है ।

इस संबंध में उनका कहना है कि हमारी सोच है कि भगवान से जुड़ना तो बुढ़ापे का काम है । परंतु मुझे लगता है कि यह सोच सबसे गलत है । क्योंकि सबसे ज्यादा आध्यात्म की जरूरत युवाओं को है । अगर ( भौतिकवादी) लाइफ के साथ आध्यात्मिक जीवन जी सकती हूं तो मुझे लगता है कि हर युवा भी जी सकता है । जया किशोरी जी की बातों को सुनकर प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों को डर लगता है कि अध्यात्म का मतलब झोला लेकर चले जाना है । तो आम आप इस संबंध में लोगों को रास्ता बताइए … इस प्रश्न के उत्तर में जया किशोरी ने प्रधानमंत्री को बताई कि ऐसा कुछ भी नहीं है । क्योंकि सबसे बड़ा आध्यात्मिक ज्ञान है । श्रीमद्भागवत गीता वह है एक ऐसे व्यक्ति को सुनाई जा रही है …. अर्जुन को जो आगे चलकर राजा बनने वाले हैं । राजा से ज्यादा ऐश्वर्य किसी के पास है नहीं होता है । गीता में भगवान कृष्ण ने एक बार भी नहीं कहा कि राज छोड़कर छोड़कर ….. बस यही कहा कि अपना धर्म पूरा करो….


प्रेमानंद महराज जी जया किशोरी को किशोरी जी की उपाधि दी ……..
जया किशोरी जी का अनमोल वचन
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जया किशोरी जी भारत की प्रसिद्ध कथा वाचिका होने के साथ-साथ मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं ..
० बीच रास्ते में लौटने का कोई फायदा नहीं ,क्योंकि लौटने पर आपको उतना ही दूरी तय करनी पड़ेगी जितनी दूरी तय करने पर आप लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं …
० जीतने वाला ही नहीं , बल्कि हारने वाला भी महान होता है ..
ये सोचेंगे ? वो सोचेंगे ?…(इत-यूत) इससे ऊपर उठकर कुछ सोच जिंदगी सुकून का दूसरा नाम हो जाएगी …
० किसी ने कहा अच्छे कर्म करो तो स्वर्ग मिलेगा मैं कहती हूं मां-बाप की सेवा करो धरती पर ही स्वर्ग मिलेगा ..
० जब – तक आप अपनी समस्याओं कठिनाइयों की वजह दूसरों को मानते हैं तब – तक आप अपनी समस्याओं एवं कठिनाइयों को मिटा नहीं सकते ….
छोटी सी जिंदगी है हर बात पर खुश रहो कल किसने देखा है …
