० एक सप्ताह से जारी अनशनकारी का कोई सुध-बुध लेने वाला नहीं।
नवादा से डी के अकेला की रिपोर्ट
नवादा , 25 मार्च 2025।

नवादा मुख्यालय के पास अवस्थित यात्री शेड में जिले के हिसुआ थाना के अंतर्गत अरियन गांव के तकरीबन 80 वर्षीय एक दिव्यांग वरीय नागरिक नबल सिंह 19 मार्च से पुलिस व उसके गुर्गे चौकीदार के कुकृत्यों के खिलाफ लगातार अनिश्चितकालीन आमरण अनशन पर डटे हैं। आमरण अनशन के एक सप्ताह बीत जाने के बाद अब तक कोई भी प्रशासनिक अधिकारी या जन प्रतिनिधि किसी तरह की सुद्धि नहीं लिया है। ताजुब तो इस बात की है कि ऐसे ज्वलन्त व संवेदनशील मुद्दों पर तथाकथित सुशासन की सरकार,सम्बंधित अधिकारी व जन प्रतिनिधि लगता है कि बिल्कुल संवेदनहीन हो चला है। एक सप्ताह से आमरण अनशन पर बैठे बुजुर्ग की पेट-पीठ सटकर एक हो गया है। फिर भी कोई भी मददगार व बचाबनहार अभी तक तो सामने कहीं भी नजर नहीं आ रहा है। हालात बेहद नाजुक है।

आमरण अनशन पर बैठे दिव्यांग बुजुर्ग नवल सिंह ने बताया की हिसुआ थानाध्यक्ष काफी भ्रष्ट व क्रूर हैं। खुलेआम दारू बेचवा रहे हैं। शराब बेचने वालों से माहवारी टैक्स बांधकर अरियन गांव के चौकीदार से तहसील व वसूली करवाते हैं। विदित हो कि अरियन गांव के चौकीदार थानाध्यक्ष के ईशारे व सह पर आज गड़थइयोनाच नाच रहा है। चौकीदार खुद शराब व गांजा पीता है, पिलाता तथा बेचबाता है। इसका विरोध करने पर थानाध्यक्ष के सह पर हमारे साथ 4 बार गालीगलौज और मारपीट किया है। थाना में आवेदन कई बार देने पर रद्दी की टोकरी में फेंक देता है। कोई एफआईआर दर्ज नहीं करता है। हमने निरंकुश पुलिस पर अंकुश लगाने और उचित न्याय पाने के उदेश्य से जिला पदाधिकारी, पुलिस अधीक्षक,गया प्रमंडल के कमिश्नर और मुख्यमंत्री बिहार को लिखित आवेदन पत्र रजिस्ट्री के माध्यम से भेजवाया हूँ। लेंकिन परिणाम ढाक के तीन पात के समान है। अबतक कोई करवाई नहीं हुई।
अंततःलुटेरा व डाकू हिसुआ थानाध्यक्ष और उसके क्रूर चमचे चौकीदार के जन विरोधी करवाई, खूंखार गतिविधि तथा नापाक इरादें के विरोध में मुझे जिला मुख्यालय पे अनिश्चितकालीन आमरण अनशन करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
अब तक हम पर करीब एक दर्जन फर्जी मुकदमा करके नाहक परेशान हमें किया जा रहा है। सुनियोजित तरीके से हमारा मानसिक,शारीरिक और आर्थिक शोषण व दोहन का अंतहीन सिलसिला लगातार जारी है। हमारी हत्या की शाजिस भी रची जा रही है। अगर ऐसे भ्रष्ट-निरंकुश थानाध्यक्ष पुलिस व चौकीदार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो वह दिन भी दूर नहीं जब एक पे एक जन विरोधी काले करतूतों की ताँता लगा दें। मामला काफी संगीन ही चूका है।

अनशन पर डटे पड़े दिव्यांग बुजुर्ग ने आगे बताया कि 2001 में मैंने मुखिया चुनाव लड़ा था। चुनाव मैं जीत चूका था पर मोटी रकम लेकर जीत की प्रमाण पत्र न देकर मुझे हरा दिया। उसी समय से हमने संकल्प लेकर कसमें खा ली थी कि मैं जबतक जिंदा रहूंगा,तब तक सच्चे निष्ठां से भ्रष्टाचार ,धोखाधड़ी पर लूटपाट के खिलाफ आजीवन लड़ता रहूंगा। उसी का यह जीता जागता ताजा सबूत है कि 80 वर्षों के उम्र के पड़ाव पर भी मैं अन्याय के विरुद्ध और न्याय के लिए संघर्षरत हूँ और आगे भी रहूंगा।
