भारतीय झंडा संहिता-2002 के मुख्य दिशा-निर्देश

  • सुरेश प्रसाद आजाद 

(ङ) जब कभी राष्ट्रीय झंडा फहराया जाये तो उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए। (च) फटा हुआ और मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाये। (छ) झंडे को किसी अन्य झंडे अथवा झंडो के साथ एक ही ध्वज- दंड से नहीं फहराया जाये । , प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि, के सिवाय झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जायेगा।

नवादा जिला सामान्य शाखा के प्रभारी पदाधिकारी श्री धीरज कुमार सिंहा द्वारा भारतीय झंडा संहिता-2002 में निहित प्रमुख दिशा-निर्देशों की जानकारी दी गई है। उन्होंने बताया कि भारतीय राष्ट्रीय ध्वज देशवासियों की आशाओं, आकांक्षाओं और राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, जिसके प्रति प्रत्येक नागरिक को सम्मान और निष्ठा रखनी चाहिए।

भारतीय झंडा संहिता-2002 के मुख्य बिंदु:

1. राष्ट्रीय ध्वज के प्रयोग और संप्रदर्शन का नियम:

भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को फहराने, उपयोग करने और प्रदर्शित करने के नियम राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय झंडा संहिता, 2002 द्वारा नियंत्रित किए जाते हैं।

2. संशोधन (30 दिसंबर, 2021):

अब राष्ट्रीय ध्वज हाथ से बुने या मशीन से बने सूती, खादी, ऊनी, सिल्क या पॉलिएस्टर के कपड़े से तैयार किया जा सकता है।

मशीन से निर्मित ध्वज की अनुमति दी गई है।

3. संशोधन (20 जुलाई, 2022):

झंडे को खुले स्थानों या घर पर दिन और रात दोनों समय फहराया जा सकता है।

4. राष्ट्रीय ध्वज के अनुपात और प्रदर्शन:

झंडे का आकार आयताकार होना चाहिए, जिसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा।

झंडा सम्मानजनक एवं पृथक स्थान पर फहराया जाए।

फटा या मैला-कुचैला झंडा नहीं फहराया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय ध्वज को किसी अन्य झंडे या पताका से ऊँचा या बराबर में नहीं लगाया जाना चाहिए।

गणमान्य व्यक्तियों जैसे राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल आदि के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के वाहन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की अनुमति नहीं है।

सभी नागरिकों से आग्रह किया जाता है कि वे भारतीय झंडा संहिता-2002 के नियमों का पालन करें और राष्ट्रीय ध्वज की गरिमा बनाए रखें।

अधिक जानकारी के लिए:

राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 और भारतीय झंडा संहिता, 2002 को गृह मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट www.mha.gov.in पर देखा जा सकता है।

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