पटना में पीयूसीएल की 15 वां राज्य सम्मेलन  प्रारम्भ…..

पटना से डी के ‌अकेला की रिपोर्ट 

नवादा ,1मार्च 2025 ।

लोक स्वातंत्र्य संगठन,पीयूसीएल,बिहार की 15 वां दो दिवसीय 1-2 मार्च को होने वाले राज्य सम्मेलन,ठाकुर प्रसाद सामुदायिक भवन,पटना-1में प्रारम्भ की‌ गई ‌। राज्य  सम्मेलन की अध्यक्षता पीयूसीएल के राज्य अध्यक्ष प्रो. आनन्द किशोर ने की और मंच का संचालन राज्य के महासचिव सरफराज ने किया। शनिवार को 10.30 बजे अपने निर्धारित समयानुसार सम्मेलन प्रारम्भ। राज्य सम्मेलन का उद्घाटन शशि सागर वर्मा,पीयूसीएल,झारखण्ड राज्य के महासचिव ने किया।अपने उद्घाटन भाषण के दौरान उन्होंने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार की बढ़ते गुणात्मक दमनकारी रवैये के चलते पीयूसीएल के सामने आज बहुत गंभीर चुनौती मुंहवाये खड़ी है। इसी वजह से पीयूसीएल की भूमिका और प्रासंगिकता काफी बढ़ गई है। उन्होंने पीयूसीएल के जन्मकाल से लेकर अबतक के क्रिया-कलापों एवं गतिविधियों पर विशेष तौर पर गहन प्रकाश डाला। मौजूदा दौर में अभी पीयूसीएल की अहमियत पहले की तुलना में और ज्यादा बढ़ जाना लाजिमी है। आज जनतांत्रिक अधिकारों ,मानवाधिकारों और नागरिक स्वतंत्राओं को राजसत्ता  द्वारा बेरहमी से कटौती कर तेजी से कुचला जा रहा है। राजसत्ता द्वारा प्रायोजित सुनियोजित तरीके से धर्मिक उन्माद और सांप्रदायिक दंगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

     देश व राज्य में लगातार बढ़ते पुलिस कस्टडीज व जेल में मौत, मॉब लिंचिंग की घटनाएँ बेहद चिंतनीय व निंदनीय है। आये दिन महिला उत्पीड़न और अल्पसंख्यकों पर दमन का अंतहीन सिलसिला बेरोकटोक लगातार जारी है। सरकार की किसान व मजदूर विरोधी  नीतियों के चलते पुरे देश व राज्य में व्यापक पैमाने पर राष्ट्रिय व राज्य  स्तर का तीब्र आंदोलन एवं बेतहासा दमन का दौर जारी है। आज की वर्तमान परिस्थिति में पीयूसीएल को सुदृढ़ कर एकजुट संघर्ष की सबल चुनौतीपूर्ण मांग बन चुकी है। इसके लिए हमलोगों को संकल्पित होकर मौजूदा आसन्न चुनौती को सहर्ष स्वीकार करने की सख्त जरूरत है।

 पीयूसीएल के प्रदेश अध्यक्ष प्रो. आनंद किशोर ने अपने अध्यक्षीय भाषण में बिहार राज्य की आर्थिक,  सामाजिक,राजनीतिक व सांस्कृतिक परिस्थितियों का मूल्यांकन किया। देश की दौलत मुठ्ठीभर लोगों के  हाथों में केंद्रित होते जा रहा है। सामाजिक भेदभाव कमाने के बजाय बढ़ता ही जा रहा है। तेजी से बढ़ते राजनीति का अपराधीकरण और अपराध का राजनीतिकरण निर्बाध व निर्विवाद रूप से बलबती होते जा रहा है। मानववादी व जन संस्कृति को तिलांजली देकर मनुवादी तथा ब्राह्मणवादी संस्कृति को बढ़ावा दी जा रही है। उतेजक वक्तव्य से जातीय व सांप्रदायिक दंगों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए पीयूसीएल को एकजुट होकर सजग,सतर्क व सक्रिय होना आज मौजूदा वख्त की पुकार सह ललकार है।

पीयूसीएल,बिहार के महासचिव सरफराज की ओर से बिहार द्वारा आयोजित 15 वें राज्य सम्मेलन में रिपोर्ट पेश किया गया। पीयूसीएल द्वारा राज्य के कई जिलों में घटित विभिन्न तरह के मानवाधिकार हनन के मामले में पीयूसीएल की ओर से जाँच कमिटी का गठन कर जाँच किया गया। जाँच रिपोर्ट प्रकाशित किया गया और सम्बंधित तमाम अधिकारीयों से लेकर मानवाधिकार आयोग के पास समुचित करवाई के उद्देश्य से भेजा गया है। सांगठनिक स्थिति को मजबूत करने के लिए राज्य की ओर से पहलकदमी को तेज करने की सख्त जरूरत को गहराई से महसूस किया गया। सांगठनिक सुदृढ़ीकरण हेतु पीयूसीएल का विस्तार करने पर विशेष जोर देने की जरूरत है। 

 सम्मेलन के अगले सत्र में जिला का सांगठनिक रिपोर्ट सदन में पेश किया गया। पटना,मुजफ्फरपुर, बेतिया,सीतामढ़ी,समस्तीपुर,गया,  भागलपुर ,नालंदा,सहरसा,बेगुसरायआदि जिला का रिपोर्ट पेश किया गया। पेश किये गये रिपोर्ट के दौरान निचोड़तः कहीं पुलिस उत्पीड़न,कहीं मॉब लिंचिंग,कहीं महिला का उत्पीड़न,कहीं सांप्रदायिक दंगा व  उन्माद,कहीं सामाजिक भेदभाव सह कुरीति और कहीं उतेजक वक्तव्य,कहीं लूट-खसोट ,कहीं सरकारी राजस्व का घोटाला,कहीं सरकार प्रदत्त सुविधाओं का अंधाधुन लूट का मामला प्रकाश में आया। सम्मेलन के इस सत्र के अंत में पीयूसीएल के राज्य महासचिव सरफराज ने कहा कि इन उतपन्न समस्याओं का कारगर समाधान के जिला स्तर पर पीयूसीएल की मजबूती और सक्रिय पहलकदमी पर ही निर्भर करेगा। रात्रि 8 बजे पहले दिन के सत्र की समाप्ति की घोषणा पीयूसीएल के अध्यक्ष ने की।

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