नेताओं के बिगड़े बोल और मध्यप्रदेश भाजपा का पचमढ़ी प्रशिक्षण शिविर 

 (पवन वर्मा-विनायक फीचर्स)

        मध्य प्रदेश भाजपा के कुछ नेता सार्वजनिक मंचों पर ऐसे बयान देते रहे हैं जो पार्टी की मर्यादा, अनुशासन और नीतियों के विरुद्ध जाते हैं। अनुशासन के लिए पहचानी जानी वाली भाजपा के लिए ऐसी स्थिति बहुत ही कठिन हो जाती है। नेताओं के बिगड़े बोल की समस्या को सुलझाने के लिए मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में भाजपा का तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर बुलाया गया जो राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

         भाजपा में  प्रशिक्षण शिविरों की पुरानी परम्परा रही है ,जिसका उद्देश्य पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं को पार्टी की विचारधारा, अनुशासन, कार्यशैली और जनसंवाद की मयार्दाओं का ज्ञान देना है। उसके नेता और कार्यकर्ता पार्टी लाइन से अलग हटकर कोई बयानबाजी  न करें, इसकी सीख भी यहीं दी जाती है। इसके बाद भी पिछले कुछ महीनों से मध्य प्रदेश भाजपा के कुछ नेताओं के ऐसे बयान आए जिसने पार्टी की परंपरागत छवि को नुकसान पहुंचा है। अब इस संदर्भ में एक बड़ा प्रश्न यह उठता है कि क्या मध्य प्रदेश के पचमढ़ी में संपन्न भाजपा विधायकों और सांसदों का  प्रशिक्षण शिविर अमर्यादित और अनुशासनहीन बयानों पर अंकुश लगाने में सफल हो सकेगा।

नेताओं के बिगड़े बोल से बिगड़ती राजनीति

           पिछले कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश के कुछ भाजपा नेताओं द्वारा दिए गए बयान मीडिया की सुर्खियां बने रहे।  राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के लिए आपत्तिजनक भाषा में, और  संवेदनशील मुद्दों पर गैर-जिम्मेदाराना टिप्पणी करने वाले इन बयानों से भाजपा की छवि पर नकारात्मक असर पड़ा है। विपक्ष को हमले का अवसर मिला है और कभी-कभी पार्टी नेतृत्व को सार्वजनिक रूप से सफाई देनी पड़ी है। इसमें प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह और प्रह्लाद पटेल का नाम प्रमुखता से आता है।

सुशासन-संगठन-संवाद

             पचमढ़ी में 14 से 16 जून तक आयोजित भाजपा का यह शिविर मूलत: ‘सुशासन, संगठन और संवाद’ जैसे मुद्दों पर केंद्रित रहा। लेकिन इसका एक मुख्य उद्देश्य नेताओं के व्यवहार और भाषा पर नियंत्रण की आवश्यकता भी दिखाई दिया। इस शिविर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी अपने अनुभव बताते हुए सांसदों और विधायकों को अनुशासन और मर्यादाओं में रहने का पाठ पढ़ाया।

वरिष्ठ नेताओं की सीख

    – सार्वजनिक जीवन में भाषा संयमित और मर्यादित हो।

    – मीडिया से बातचीत में तथ्यों पर आधारित वक्तव्य दिए जाएं।

    – विपक्षी दलों की आलोचना नीतिगत हो, न कि व्यक्तिगत या अपमानजनक।

    – समाज के सभी वर्गों के प्रति समभाव और समादर की भावना बनी रहे।

   – बार-बार एक ही गलती न की जाए।

कार्यकर्ताओं तक सकारात्मक असर

           भाजपा की पहचान एक अनुशासित कैडर आधारित पार्टी के रूप में रही है। प्रशिक्षण शिविरों में जब बार-बार अनुशासन, विचारधारा और संगठन के प्रति निष्ठा का पाठ पढ़ाया जाता है, तो इसका सकारात्मक असर नीचे तक महसूस होता है। भाजपा में ऐसे शिविर केवल ज्ञानवर्धन का मंच नहीं होते, बल्कि पार्टी अनुशासन को याद दिलाने और नेतृत्व से सीधे संवाद का अवसर भी प्रदान करते हैं। जब वरिष्ठ नेता खुद अनुशासन की बात करते हैं और उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, तो कार्यकर्ताओं और कनिष्ठ नेताओं पर उसका मनोवैज्ञानिक असर पड़ता है।

…तब साबित होगा मील का पत्थर

       मध्य प्रदेश में भाजपा की स्थिति फिलहाल मजबूत है और डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में सरकार चल रही है। लेकिन  स्थानीय नेताओं द्वारा समय-समय पर दिए गए बयान विवाद का कारण बनते रहते हैं। पचमढ़ी शिविर में   इस बात को लेकर विशेष चिंता जताई गई और नेताओं से संयमित भाषा अपनाने की अपील की। मध्य प्रदेश भाजपा का तीन दिवसीय प्रशिक्षण  पार्टी की विचारधारा, अनुशासन और संगठनात्मक संरचना को मजबूत बनाने की दिशा में एक जरूरी कदम है। लेकिन यह कहना कि केवल इस शिविर से नेताओं के अमर्यादित बयानों पर पूर्ण नियंत्रण हो जाएगा, एक अतिश्योक्ति ही होगी।

प्रशिक्षण शिविर एक शुरूआत है, लेकिन अनुशासन का पूर्ण नियंत्रण तभी संभव है जब पार्टी नेतृत्व सभी स्तरों पर समान रूप से सख्ती बरते, और हर नेता को यह अहसास हो कि वह केवल व्यक्ति नहीं, एक संस्था का प्रतिनिधित्व करता है। यदि इन बातों को गंभीरता से लागू किया गया, तो निश्चित ही यह प्रशिक्षण शिविर भाजपा को अधिक अनुशासित, मर्यादित और जनविश्वास से परिपूर्ण संगठन में बदलने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता हैं। (विनायक फीचर्स)

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